वन विभाग में आजकल चम्पी मालिश का मामला सुर्ख़ियों में है। प्रदेश के एक डी ऍफ़ ओ ने रेंजर से वादा खिलाफी ही नहीं की , उसको झूठे मामले में फंसा कर सस्पेंड करने की धमकी भी दे डाली। लिहाजा रेंजर ने विभागीय अधिकारीयों से गुहार भी लगाई और थाणे में भी अर्जी लगा दी। और मीडिया है की बिला वजह मामले को तूल दे रहा है। अरे मालिश करवाना तो राजे रजवाड़ों का शौक रहा है , और डी ऍफ़ ओ किसी से कम थोड़े ही होता है। एक्सपोज़ सी जी के पास कई पुख्ता सबूत हैं की प्रदेश के कई आई एफ एस अक्सर मालिश करवाने बैंकाक की गलियों की सैर बिना अनुमति भी कर आते हैं।
इस बेचारे रेंजर को तकलीफ तो इस बात की है कि उसके वित्तीय पॉवर अन्यत्र दे दिए गए। उसे शायद मालूम नहीं कि बस्तर के डी एफ ओ के वित्तीय पावर भी एक महिला डी एफ ओ सम्हाल रहीं हैं . जो स्वयं अपने मातहतों को इसी तरह प्रताड़ित करने के कारण सुर्ख़ियों में रह चुकी हैं। पर साहब वित्तीय अधिकार छीन कर वित्तीय भार डालना उचित नहीं न है।
लिहाजा छोटा कर्मचारी बड़े रसूख दारों के सामने गुहार ही लगा सकता है और क्या करे बेचारा ?
पर उसे मालूम नहीं है शायद की ये नक्कारखाने में तूती ही साबित होगी।
इति