वृक्ष से प्रकृति, प्रकृति से जीवन और जीवन से संस्कृति के बुने हुए ताने-बाने को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने खूब पहचाना है। साल 2022 की जन्माष्टमी छत्तीसगढ़ राज्य के लिए हरितिमा की एक नई शुरूआत ले कर आई और हुआ कृष्ण कुंज योजना का आग़ाज़। इस योजना के तहत राज्य के सभी 170 नगरिया निकायों में 226 एकड़ शासकीय भूमि में उद्यान विकसित कर सांस्कृतिक महत्व के पौधों का रोपण किया जा रहा है।
बरगद, पीपल, नीम और कदम जैसे धार्मिक, आध्यात्मिक, आयुर्वेदिक,पारंपरिक और सांस्कृतिक महत्व के जीवनोपयोगी वृक्षों का रोपण कर छत्तीसगढ़ सरकार ने नई पीढी़ को अपनी मिट्टी से जुड़े रहने का एक शानदार सामान दिया है। भगवान श्री कृष्ण का प्रकृति प्रेम उनकी बाल लीलाओं में दिखता ही रहा है द्वापर युग के जमुना किनारे के कदम पेड से हर कृष्ण भक्त परिचित होगा । कृष्ण कुंज योजना जैसा मोहक नाम कृष्ण जन्माष्टमी के दिन यही सब कुछ परख कर रखा गया होगा। हमारे धार्मिक ग्रंथ पर्यावरण और जीवन का खूबसूरत समन्वय दिखाते हैं कृष्ण कुंज उसी समन्वय का शासकीकरण है।
जिस तरह भगवान श्री कृष्ण और कदम का वृक्ष, माता सीता की चर्चा के साथ जुड़ा है अशोक वाटिका, बुद्ध और बोधि वृक्ष एक साथ स्मरण में आते हैं, महावीर स्वामी के साथ साल वृक्ष, प्रभु श्री राम का वनवास और पंचवटी, शिव जी के साथ बेल और धतुरा, स्वर्ग के राजा इंद्र और पारिजात, भगवान विष्णु के साथ पीपल का पेड़ और तुलसी का पौधा, भगवान गणेश जी और दुबी घांस, माता लक्ष्मी और कमल, मां दुर्गा और गुडहल का फूल। भारतीय संस्कृति और वनस्पति एक दूसरे में इतना घुला-मिला है कि उनको अलग-अलग करके देखा भी नहीं जा सकता। छत्तीसगढ़ के नगरीय क्षेत्रों में पेड़.पौधों की कमी अब सालने लगी है शहर और कस्बों के कॉन्क्रीट के जंगलों से अब मन उबने लगा है, इतनी आधुनिकता भी कभी.कभी रास नहीं आती, हमारा प्राचीन हमें बार-बार अपनी ओर खीचता है जिन्होने भी अपने जीवन काल में 50 से ज्यादा वसंत देख लिए हों उनकों तब और अब का फर्क साफ दिखाई देता होगा। समूचे राष्ट्र में छत्तीसगढ़ ही एक ऐसा राज्य है जहां की सरकार ने इस ओर भी अपनी फिक्र दिखाई है। छत्तीसगढ़ के शह-.शहर और गांव-गांव को उद्यानों और बाग-बगीचों से भर देने जैसा प्रयास है| वर्षा ऋतु 2022.23 में कृष्ण कुंज योजना को लेकर रायपुर वन मंडल ने रायपुर जिले के 10 नगरीय निकायों में जो काम किए हैं उन्हें देख कर पूरा जिला इस दिशा में संभावनाओं से भर गया है|
वनमंण्डल रायपुर ने छत्तीसगढ़ की राजघानी रायपुर में आत्मिक शांति और खुशनुमा वातावरण बनाता 4.41 एकड़ तक फैला एक कृष्ण कुंज तैयार किया है जिसमे कुल 383 नग वृक्षों का रोपण किया गया है यहां भी उन सभी पौधों की बहारें है जिसे देखकर ही मन भीतर तक हरा हो जाता है। बरगद,इमली,आम, जामुन आंवला कदम, सिताफल, पारीजात,बेल, पलाष, शहतूत,अमरूद, पीपल, बेर,,अनार,अशोक,नीम, चंदन,रुद्राक्ष चार, खैर, डूमर, ,क्रोमो कारपस, टिकोमा के अलावा औषधीय गुणों से भरपूर,लेमन ग्रास, एलोवीरा, तुलसी, सर्पगंधा, अणुसा, निर्मुणी और गिलोय रायपुरवासियों को ये तमाम वनस्पितियॉ आंतरिक सकून देने वाली है। शहरी जीवन की आपाधापी में गुम ज़िन्दगानियों के लिए एक ढांढस भी है कि वे अभी भी पकृति के बहुत नज़दीक हैं। भारतीय संस्कारों से जुड़े कृष्ण कुंज के पेड़-पौधे हमारी लोक संस्कृति के रक्षक भी हैं।
वनमंण्डल रायपुर, नगर निगम रायपुर में तेलीबांधा के अलावा अटारी में भी 2.72 एकड़ भूमि में लक्षित 552 वृक्षों का रोपण कर शानदार कृष्ण कुंज तैयार किया है। छत्तीसगढ़ की संस्कृति को मजबूत करने वाली राज्य सरकार की कृष्ण कुंज योजना का दूरगामी परिणाम आज के लिए एक बहुत अच्छा एहसास है। नगर निगम बिरगांव के उरकुरा में 2.96 एकड़ क्षंत्र में भी दिए गए लक्ष्यों को पूरा करते हुए 710 वृक्षों के रोपण से कृष्ण कुंज तैयार किया गया है। आज की युवा और भावी पीढ़ी वृक्षों सांस्कृतिक, धार्मिक और पर्यावरणीय मूल्यों की वनस्पतियों के संपर्क में रहे उसके लिए कृष्ण कुंज से बेहतर कदम और क्या हो सकता है।
नगर पालिका आरंग में कृष्ण कुंज 5.19 एकड़ क्षेत्र में तैयार किया गया है जिसमें लक्षित 1290 वृक्षों का रोपण किया जा चुका है।
नगर पंचायत अभनपुर के उरला में 5.19 एकड़ क्षेत्र में बने कृष्ण कुंज को लक्षित 1215 वृक्षों से सजाया गया है । भारत में वृक्षों को पवित्र मानते हुए उनके बचाव की सुंदर संकल्पना की गई है और जो हमारी परंपरा का हिस्सा भी है भूपेश सरकार ने कृष्ण कुंज योजना देकर उसी परंपरा का योजनाबद्ध निर्वहन किया है।
नगर पंचायत खरोरा में 4.84 एकड़ क्षेत्र में तैयार किया गया है कृष्ण कुज जिसमें लक्ष्य के अनुसार 854 वृक्ष रोपित है। शहर के उठते धुंए के गुबारों को अब उद्यान नहीं बाटिकाएं ही संभाल सकती हैं और यही करने की एक सार्थक कोशिश हैै छत्तीसगढ़ सरकार की कृष्ण कुंज योजना।
वन मंण्डल रायपुर के द्वारा निर्मित इन कृष्ण कुंजों में नगर पंचायत कुर्रा का कृष्ण कुंज आकार में अपेक्षाकृत कुछ बड़ा है, 7 एकड़ क्षेत्र में लक्षित 1682 वृक्षों का रोपण कर आसपास क्षेत्र में हरितिमा बिखेर दिया गया है। भारतीय आत्माओं को भीतर तक राहत देने वाली कृष्ण कुंज योजना आने वाले समय में बिगड़ते पर्यावरण को पूरी कुशलता से संभाल लेने जैसा पुनित काम करेगा।
नगर पंचायत समोदा का कुंज भी वृहद है, 12.85 एकड़ में फैले इस कृष्ण कुंज में लक्षित 3190 पौध रोपित किए गए हैं। कृष्ण कुंज योजना को इस तरह से भी समझा जा सकता है कि इस योजना के साथ राज्य सरकार ने शहर के बीचों-बीच एक बड़ा ऑक्सीजन हब तैयार किया है जिसमे एक पीपल का पेड़ ही हर दिन 250 लीटर ऑक्सीजन दे सकने की क्षमता रखता है।
रायपुर वनमंण्डल के तहत नगर पंचायत चंदखूरी में 3.21 एकड़ क्षेत्र में लक्षित 800 वृक्षों का रोपण किया गया है। वहीं नगर पंचायत मंदिर हसौद के कुरूद में 2.47 एकड़ क्षेत्र में लक्षित 610 वृक्षों का रोपण किया गया है।
वर्षा ऋतु 2023-24 के लिए वन मंण्डल रायपुर ने नगर पंचायत तिल्दा के कोहका में 3.41 एकड़ क्षेत्र में कृष्ण कुंज तैयार किया है जिसमें वृक्षों के लक्ष्य 800 नग की पूर्ति की जा चुकी है और नगर पंचायत माना कैंप के माना में 3.81 एकड़ क्षेत्र में कृष्ण कुंज तैयार किया जा रहा है जिसके लिए 890 वृक्षों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। बच्चों के खेल-कूद, युवाओं की तफरी और बुज़ुर्गों के चहलकदमी के लिए हर शहर का स्वच्छ कोनाबनाने वाला है कृष्ण कुंज इसकी परिकल्पना बढ़ते प्रदूषण और क्लाइमेट चेंज जैसी समस्याओं को कम करने के लिए की गई थी और कृष्ण कुंज अपने होने को सार्थक करता नज़र आ रहा है।