जी हाँ हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के महान गणितज्ञ रंग बिरंगे पाठक जी की , जहाँ के अधिकारी कर्मचारी उन्हें जबरन चोर साबित करने पर तुले हैं। और अब जब हमने गहराई में जा कर छानबीन करने की कोशिश की , तो कर्मचारी एक दूसरे पर पाठक को बचाने का आरोप मढ़ने लगे। देखिये साहब कानून की नजर में चोर वही होता है जिस पर चोरी साबित हो जाये , वर्ना आरोप तो “चौकीदार” पर भी लगते रहे हैं। पर पर्यटन मंडल में तो चारों तरफ गंद ही गंद फैली पड़ी है । अब इस गन्दगी में घुटने तक उतरने पर जो थोड़ी बहुत जानकारी उफल कर आ रही है , उसके अनुसार चोर को बचाने वाले भी समान रूप से दोषी हैं । मसलन cctv प्रबंध संचालक के विशेष सहायक और वर्षों से इस कुर्सी से चिपके श्रीमान दुर्गेश जी की नजरों के सामने ddr पर रिकॉर्ड होता रहता है , अब दुर्गेश चाहे तो उसकी रिकॉर्डिंग से छेड़ छाड़ कर सकता है। वैसे ये दुर्गेश ही है जो पर्यटन मंडल के सभी कर्मचारियों और आगंतुकों को प्रबंध संचालक के मामले में गुमराह करता रहता है। वैसे अंदरखाने में ये भी सुनाई देता है कि सभी पदस्थ प्रबंध संचालकों के लिए सारी व्यवस्थाएं भी यही जुटाता है , फिर वो चाहे किसी भी तरह की क्यों न हों । ये मिठलबरा दुर्गेश ही कई मामलों की अहम कड़ी है । exposecg के पास इनके विरुद्ध शिकायत पत्र भी है , ये बात और है कि अब तक इस पत्र पर शासन ने सिवाय प्रबंध संचालक को आवश्यक कार्यवाही के लिए लिखने के आलावा कुछ नहीं किया । बताया जाता है की इनके अभिभावक वन विभाग में कार्यरत थे , लिहाजा अधिकांश वन विभाग से आये अफसर इनको अपनी गोदी में बैठा लेते हैं । ये भी कहा जाता है की तेज तर्रार पूर्व प्रबंध संचालक श्रीमान अलोक कटियार ने एक बार इनको पर्यटन मंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था , पर अगले ही प्रबंध संचालक की गोद में ये फिर से कूद कर बैठ गए और अठखेलियां करते हुए अब तक बैठे हुए हैं। दरअसल ये हर एक प्रबंध संचालक की नाड़ी पकड़ने के भी उस्ताद हैं , नाड़ी मतलब समझ रहे हैं न आप ? खैर छोड़िये जनाब , अब आपसे ज्यादा कौन समझदार है।
हाँ , तो हम बात कर रहे थे चौकीदार चोर , अरे नहीं नहीं पाठक चोर है की , दूसरी अहम कड़ी , IT सेल के एक्सपर्ट श्रीमान अनुपम जी , जिन्होंने उस ddr में से फाइल चोरी की फुटेज निकाली थी , और तत्कालीन प्रबंध संचालक श्रीमान नंदी जी को दी थी , अब चूँकि चोरी के सबूत सामने थे , तो नंदी जी ने जाँच संस्थित करनी ही थी। वर्ना शायद यूँ ही बात रफा दफा कर देते ,लिहाजा जाँच तत्कालीन dgm को न सौंप कर एक अदने से कर्मचारी शिवदास तम्बोले को सौंप दी , जो तब से अब तक उस पर कुंडली मार कर तम्बोला खेलने में व्यस्त है।अब अनुपम की बात करें , तो लगता है की उसने ddr से एक ही कॉपी नकली होगी , और उसके बाद उसे कहीं भी सेव भी नहीं किया होगा , फिर संभवतः ddr से फुटेज भी डिलीट कर दिया होगा । तभी तो हमे सूचना के अधिकार के तहत अब तक चोरी के फुटेज देने में मंडल अक्षम साबित हो रहा है , बेचारी बसंती भी क्या करे ? तो अनुपम भैया , कृपा करके जो कॉपी आपने कहीं और छुपा रखी है कृपया मंडल को सौंप दीजिये , ताकि तम्बोले जी जाँच आगे बढ़ा सकें। वर्ना उनको कॉन्स्टिपेशन हो जायेगा , जिसका कारण वही पेन ड्राइव होगी जिस पर वो इतने दिनों से बैठे हुए थे। तम्बोले जी को भी एक सलाह है , कृपया जुलाब ले लें , और पेन ड्राइव बाहर कर जाँच पूरी करें।
तो कुल मिला कर ये साबित हो रहा है की तमाम लोग नूरा कुश्ती में लगे हुए हैं और पूरे पर्यटन मंडल में भांग पड़ी हुई है , अब तक के सारे प्रबंध संचालक भी उपकृत हो कर बढ़ चले हैं , और पाठक जैसे चो.. और भ्रष्ट जालसाज अधिकारी फलते फूलते रहते हैं , फिर चाहे चाहे आरा हो या साहू , यश भी शायद कुछ नहीं उखाड़ पाएंगे। वैसे पाठक जी की एक और cd का जिक्र मंडल के कर्मचारी कर रहे थे , किसी बिसेन वाली, जिसमे पाठक ने भुगतान के एवज का हिसाब उसको बकायदा टाइप कर के पकड़ाया था। अगली बार फिर कभी……. इति