जी हाँ हम बात कर रहे हैं , छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के रंग बिरंगे महान भ्र्ष्टाचारी श्रीरंग शारद पाठक जी की। गौरतलब है इस पाठक ने 2019 की 3 मई को कुछ ऐसा कारनामा किया कि पर्यटन मंडल के अधिकारीयों ने उन्हें चोर करार दे दिया और आनन् फानन में तत्कालीन प्रबंध संचालक श्री एम् टी नंदी जी ने उनके खिलाफ जाँच भी बैठा दी। वाकया बड़ा दिलचस्प है किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं , 3 मई 2019 की सुबह कार्यालयीन समय से पहले महान भ्र्ष्टाचारी पाठक जी अपने सहयोगी सहायक अमित दुबे के साथ उद्योग भवन स्थित पर्यटन कार्यालय में दाखिल होते हैं और कुछ विभागीय फाईले बांध कर चम्पत हो जाते हैं। अब उनके इस छोटे से कृत्य को पर्यटन मंडल के अबोध अधिकारी चोरी का नाम दे देते हैं , वे ये नहीं सोचते की हो सकता हैं पाठक जी कुछ जरूरी फाईले अपने विशाल नगर निवास में बैठ कर इत्मीनान से निपटाने के लिए ले कर गए हों। आखिर पाठक जी ने कोई धन तो नहीं चुराया, कुछ कागज के बंडल ही तो लेकर गए थे वो , हाँ ये बात और है कि उन फाईलों में कितना काला धन छुपा था , ये तो वो ही जाने , फिर भी मंडल कर्मचारियों ने उन्हें चोर की संज्ञा दे दी।
मामले की खबर लगते ही श्रीमान नंदी जी ने इसे गंभीरता से लिया और cctv फुटेज अपने कब्जे में लेते हुए इंजीनियरिंग सेक्शन के अड़ने से कर्मचारी शिवदास तम्बोले को इसकी जाँच सौंप दी। जिस पर वे अब तक कुंडली मार के बैठे हुए हैं। बहरहाल अब तक नंदी जी को मिला कर 3 प्रबंध संचालक पर्यटन मंडल से रुखसत हो गए , और हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है की यशवंत जी भी जाँच पूरी नहीं करवा पाएंगे, और हम पाठक जी को चोर साबित नहीं कर पाएंगे।
अब सवाल ये उठता है की पाठक जी ने आखिर अपने खून पसीने की कमाई से बनाये विशाल नगर के दुइ तल्ला मकान में ले जा कर उन फाईलों का भला क्या किया होगा। अचार तो डाले नहीं होंगे , शायद गैस खत्म होने पर चूल्हा जलाने के लिए , या फिर लाइट गोल हो जाने पर एमर्जेन्सी लाइट जलाने के लिए ले गए होंगे। अब इतने छोटे से काम के लिए विभागीय अधिकारी कर्मचारी उन पर चोरी जैसा लांछन लगाएं , ये उचित नहीं है। अरे पाठक जी के कारनामे तो लोगों ने cd में कैद कर रखे हैं , तो भी उनका कोई कुछ उखाड़ नहीं पाया , ये तो फाईल चोरी का फकत आरोप लगा रहे हैं , जो कतई बर्दाश्त के लायक नहीं है।वैसे भी हमारे वरिष्ठ अधिकारी जांच संस्थित करने में देरी नहीं करते , फिर चाहे वो पूरी हो या नहीं , ये तो वजन तय करता हैं , अरे भाई पाठक जी का।
यहाँ एक और सवाल अहम है , आखिर शिवदास तम्बोले 2 साल से कुंडली मार कर क्यों बैठ गए हैं , पाठक के पास पुराणी कोई फईल पड़ी है , या पाठक से फटती है , या मध्यप्रदेश की यारी दोस्ती निभा रहे हैं , तू मेरी मत खोल और मै तेरी। फिलहाल और भी लोग इस मामले में पाठक जी का ही साथ देते नजर आ रहे हैं , हमने जब सुचना के अधिकार में इस प्रकरण की जानकारी सुचना अधिकारी अनु रधा दुबे जी से मांगी तो तय सीमा के बाद भी उन्होंने कोई जवाब देना उचित नहीं समझा । शायद राम वन गमन परियोजना की व्यस्तता उन्हें इस से रोक रही है।या पाठक जी के पुराने एहसान। बहरहाल हमने भी ठान रखी है , परत दर परत हम बखिया उधेड़ कर ही दम लेंगे।।