Exposecg फिर बात कर रहा है उसी रंग बिरंगे पाठक की। छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के 2013 में पदस्थ प्रबंध संचालक IAS श्रीमान संतोष मिश्रा जी के उस शोकॉस का जवाब लेखाधिकारी पाठक ने तय समय सीमा में आज तक नहीं दिया , फिर भी उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हम श्रीरंग शरद पाठक के उस अनुनय पत्र की छाया प्रति यहां प्रस्तुत कर रहे हैं जिसमे उसने वांछित दस्तावेजों की मांग की थी जवाब देने के लिए। शोकॉस का विषय था ” अनुशासनात्मक कार्यवाही – शासन/मंडल के विहित प्रावधानों , नियमो , निर्देशों की रुचिपूर्वक अवहेलना , छलपूर्वक तथ्यों को छुपाने , अभिलेखों में हेराफेरी एवं अनुचित लाभ पहुंचने के उद्देश्य से किये गए कदाचरण के लिए कारण बताओ सूचना पत्र ” दिनांक 04/02/ 2013 , जिस पर पाठक ने अब तक कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दिया। उलटे पाठक ने वांछित दस्तावेजों की मांग करते हुए प्रबंध संचालक को दिनांक 05 /02 /2013 को एक अनुनय पत्र लिखा , पर आज तलक उत्तर देना जरूरी नहीं समझा। हालाँकि सरकारी खानापूर्ति के तहत श्रीमान संतोष मिश्रा जी ने दिनांक 19 /02 /2013 को ही एक पत्र पुनः पाठक की झोली में दाल दिया जिसमे समय सीमा दिनांक 25 /02 /2013 तक जवाब न देने पर अनशनसनात्मक कार्यवाही की कड़ी चेतावनी भी दी। मगर अभी तक उन पर इस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की गई। सवाल उठता है की इस जालसाज पाठक को आखिर कौन बचाता आ रहा है , शायद पैसा , या फिर सम्बन्ध , या फिर दोनों ही। अंदरखाने की आवाजों पर कान दें तो टूरिज्म के एक प्रबंध संचालक और प्रदेश के एक ACS का नाम प्रमुखता से आ रहा है जिनका वरदहस्त इस रंग बिरंगे पाठक जी के सर पर है। तभी तो तमाम घोटाले घपले करने के बाद भी पाठक टूरिज्म की सर्वोच्च कुर्सी पर काबिज है , जबकि उसे अब तक सलाखों के पीछे होना चाहिए ।
पूरा CTB मंत्रालय में बैठे आला अधिकारीयों से इस बात का जवाब मांग रहा है। यहाँ हमने एक ACS का जिक्र किया है , ये भी हो सकता है की उनके संज्ञान में पाठक की कारगुजारियां न हों , पर हमे तो लगता है कि “शुसाहू ने रासाहू को बोला , जब पाठक ने गल्ला खोला ” , तभी तो बिना किसी आरोप के मयंक गुप्ता से छीन कर महत्वपूर्ण पदों पर जालसाज पाठक की नियुक्ति की गई। … इति