जी हाँ , आप सही पढ़ रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में हाथी प्रबंधन हेतु वन विभाग जल्द ही मार्कफेड से सड़ा गला धान खरीदने की तैयारी कर रहा है। या यूँ कहें कि मार्क फेड अपना सड़ा गला धान वन विभाग को खपाने की जुगत में है। इस आशय का एक पत्र प्रबंध संचालक , मार्कफेड ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक , वन्य प्राणी को जारी भी कर दिया है। ताज्जुब की बात तो ये है कि ये सड़ा गला धान मार्कफेड 2095 रूपये प्रति क्विंटल की दर से हाथियों के लिए वन विभाग लो टिका रहा है। ये वो सड़ा गला धान है जो छत्तीसगढ़ के मिलरों ने कस्टम मिलिंग के लिए उठाने से इंकार कर दिया था।इससे अच्छा धान मिलर वन विभाग को 1500 रूपये की दर से देने उत्सुक हैं। खरीफ विपणन वर्ष 2019 – 20 से संग्रहित धान अब पूरी तरह से सड़ चुका है और जानकर बताते हैं की इसे मिलर 50 प्रतिशत दर पर अर्थात लगभग 700 रूपये में विपणन संघ से खरीदते। यानि लगभग तिगुनी कीमत में हाथियों को धान उपलब्ध होगा।
दरअसल किसी सेवानिवृत्त वन अधिकारी ने अन्य राज्य में हाथी मनुष्य विवाद को एक हद तक रोकने हेतु हाथी प्रभावित वन क्षेत्रों में धान उपलब्ध कराने की योजना पर अमल करने की जानकारी दे दी और हमारे अधिकारीयों ने 1000 रूपये अधिक कीमत पर धान खरीदने की योजना को मूर्तरूप दे दिया। वनमंडल स्तर पर टेंडर के माध्यम से स्थानीय मिलरों से धान खरीदने पर लगभग 1500 रुपये प्रति क्विंटल में धान उपलब्ध हो जाता। और हाथियों के नाम पर “चारा घोटाले” की आशंका से बचा जा सकता ……इति