जी हाँ सुन कर चौंक गए न ? पर ये सच है कि बिलासपुर के कांग्रेस के कर्मठ , कद्दावर नेता श्री अटल श्रीवास्तव जी , सम्भवतः देश के सबसे बड़े NGO के अध्यक्ष मनोनीत किये गए हैं। और वे ख़ुशी ख़ुशी गाजे बाजे के साथ शक्ति प्रदर्शन करते हुए अपनी कुर्सी पर काबिज भी हो गए। प्रदेश में कौन नहीं जानता न्यायधानी के इस सपूत को , जज से मारपीट और कांग्रेस भवन की सर फुटौव्वल की वजह से अटल जी सुर्ख़ियों में रहे। कांग्रेस में अटल जी के योगदान के सभी कायल हैं। अटल जी सहृदय , मृदुभाषी , मददगार व्यावसायिक नेता रहे हैं , कभी कभी परिस्थिति वश उग्र हो जाते हैं। प्रदेश के यशस्वी मुखिया ने ढाई साल गुजर जाने के बाद ताबड़तोड़ नियुक्तियों के बीच उन्हें ये झुनझुना पकड़ाया है। छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल नाम के NGO का अध्यक्ष बना कर , जिसका रेजिस्ट्रेशन स्थानीय रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसाइटी में समिति पंजीकरण [ क्रमांक छ. ग. राज्य – 363 ] के तहत 9 अप्रेल सन 2003 को किया गया और जिसकी माली हालत बेहद खराब है।
कल अटल जी ने कार्यालयीन अधिकारीयों कर्मचारियों के साथ एक बैठक कर साक्षात्कार के साथ साथ उनको दिशा निर्देश भी दिए। लिहाजा हमने भी पत्रकारिता धर्म निभाते उनके कार्यालय में मुलाकात की अर्जी लगा दी। पुराने संबंधों के तहत गर्म जोशी से मुलाकात के उपरांत जैसे ही हमने बोर्ड की कुछ महत्वपूर्ण खामियां गिनाने की कोशिश की तो छूटते उन्होंने कहा ” समय कम है हमारे पास , हम गड़े मुर्दे उखाड़ने नहीं , छत्तीसगढ़ पर्यटन का विकास करने आये हैं। “
ये हुई न पॉसिटिव विचारों वाली बात , जरूर विकास कीजिये , पर्यटन का , पर अटल जी आपको बता दें की भाजपा की 15 सालों की सत्ता में पर्यटन मंडल में दफनाए गए मुर्दे ही पर्यटन विकास में बाधक हैं। इनको उखाड़ कर फेंके बगैर न पर्यटन विकास हो पायेगा , और न ही आप महिमामंडित होंगे। आज अधिकांश मोटल बंद पड़े हैं , जिससे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के पास समुचित व्यवस्था के अभाव में पर्यटक जाते ही नहीं।
सबसे बड़ी बात कि मंडल का मूल सस्थागत ढांचा ही कमजोर नीव पर खड़ा है , ऐसे में आपको इस NGO का प्रतिनिधित्व करने पर पुनः एक बार बधाई। ..इति