छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के गठन के साथ तत्कालीन कांग्रेस सरकार के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजित जोगी ने घोषणा की थी कि वे पर्यटन विकास के लिए स्थानीय होटल व्यवसाइयों , टूर ऑपरेटरों , और ट्रेवल एजेंसियों को बढ़ावा देंगे, जिससे स्थानीय रोजगार के साथ साथ स्थानीय व्यापारियों को फायदा हो , यानि स्पष्ट रूप से कहा गया कि सरकार अपने मोटल भी चलाने के लिए किसी होटल व्यवसायी से अनुबंध करेगी । हालाँकि तब पर्यटन मंडल के पास G E रोड पर मात्र एक छत्तीसगढ़ होटल संचालित था , दूसरे कुम्हारी छोटे पुल के पास स्थित एक रेस्ट हाउस नुमा मोटल था , जबकि चित्रकोट , कवर्धा , और कांकेर में अधूरे निर्मित मोटल ही थे। पर 2003 में प्रदेश में भाजपा शासन के काबिज होते ही प्रदेश में होटलों मोटलो की बाढ़ सी आ गई , जहाँ पाए वहां निरुद्देश्य ही मोटल निर्मित किये जाने लगे , फर्नीचर भरे जाने लगे , सैकड़ों की संख्या में ए सी खरीदे जाने लगे , और कमीशनखोरी करते हुए इनके लिए ऑपेरशन की भारी भरकम टीम की नियुक्तियां भी की जाने लगी। ये नियुक्तियां पूर्व पर्यटन मंत्री के चहेते प्रोवाइडर द्वारा आउट सोर्सिंग के नाम पर की जाने लगीं। और तमाम मोटलों में आज भी पहले कॉल में सर्विसेस , फिर ग्लोबल सेकुरिटिस , फिर अब पुनः कॉल में सर्विसेस के माध्यम से मनचाहे स्टाफ की नियुक्तियां की गई, जिसमे एक सर्विस प्रोवाइडर ने सात लाख का गबन भी किया गया , जो जाँच के दायरे में है. वहीं शुरूआती दौर में बने मोटलों में से कुछ का आज तक सञ्चालन ही नहीं हो पाया और जिनका हुआ भी वे अय्याशी के अड्डे बन कर रह गए , मसलन तूता माना का रिसोर्ट।
इसी बीच सन 2008 में मंत्री और तत्कालीन अधिकारीयों ने लगभग 56 नियुक्तियां मंडल में स्थाई तौर पर कर दीं जिस पर कोंग्रेसी नेताओं के एक धड़े ने जमकर सवाल उठाये और ये नियुक्तियां जांच के दायरे में हैं . अब भी, जब स्वयं कांग्रेस की सरकार है तब भी यदा कदा चुरचुटिया फटाके फूटते ही रहते हैं , पर नतीजा सिफर है। और अब नए सिरे से प्रोवाइडर के मार्फ़त कुछ और स्किल लेस व्यक्तियों को नियुक्तियां हो चुकी हैं , साथ ही एक पद सृजित करके भी भारी भरकम तनख्वाह पर नियम विरुद्ध नियुक्ति की गयी है। कुल मिला कर पहले से ही आर्थिक संकट से जूझते पर्यटन मंडल पर ख्वामख्वाह बोझा।
फ़िलहाल छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल ,डिफ़ंड है , और इस माह अब तक मंडल के कमंडल पकड़ने की स्थिति में हैं । यही सीन रहा तो इस सफ़ेद हाथी का एक दिन डूबना निश्चित है , आगे गोते लगती सरकार जाने। …… इति