Sunday, December 22nd, 2024

एक थे गोरेलाल ठाकुर , लिख गए असलियत पाठक की , अधिकारियों के कानों में जूं भी नहीं रेंगी।

छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल का दुर्भाग्य है कि इसमें बैठे अधिकारी कर्मचारी ही एक दूसरे पर कीचड़ उछालने का काम बखूबी निभा रहे हैं , और जब हम उसे निथारने का काम कर रहे हैं तो श्रीमान पाठक जी के कई अच्छे काम भी सामने आ रहे हैं। इस पर्यटन मंडल में डेपुटेशन पोस्टिंग पर कई अधिकारी अन्य विभागों से मलाई छानने आये थे , जाहिर ने हैसियत के हिसाब से बहुत मलाई मक्खन भी खाया गया , कुछ ने पचाया , कुछ ने उलट दिया। नतीजतन पर्यटन मंडल शनैः शनैः गन्दगी से भर गया। अब भी अधिकारी बाज नहीं आ रहे इसे एक दूसरे पर उछालने में।

चलिए हम सीधे मुद्दे पर आते हैं , इंजीनियरिंग विभाग में एक अधिकारी हुआ करते थे इंजीनियर गोरेलाल जी ठाकुर , अब कोविद के चलते इस दुनिया से रुखसत हो गए , मगर अपने आखरी समय तक वे मंडल में व्याप्त भ्र्ष्टाचार और उसके सरगना के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहे , मगर अफ़सोस, सरकार में बैठे आला अधिकारीयों ने एक न सुनी और भ्रष्ट शिरोमणि श्री रंग शरद पाठक का साथ दिया और अब तक देते आ रहे हैं।

स्वर्गीय श्री गोरे लाल ठाकुर जी ने वर्ष 2019 में लगभग दस शिकायती पत्र जिम्मेदार अधिकारियों को श्री पाठक के विरुद्ध लिखा , जिसका सार हम यहाँ दे रहे हैं , कि छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग मंत्रालय के द्वारा संविलियन पश्चात् श्री अजय श्रीवास्तव , वरिष्ठ पर्यटन अधिकारी को उनके मूल पद जनसम्पर्क अधिकारी वेतनमान 6500- 200 -10500 पर मूल वेतन रु 7900/= था , को बिना वित्त विभाग से अनुमति लिए श्रीमान रंग शरद पाठक ने 8000 – 275 – 13500 कर उपकृत किया और उन्हें ये उच्च वेतनमान का लाभ वे 25 -07 -2007 से अभी तक मिल रहा है।

यही तो हम कह रहे हैं , पाठक जी ने कुछ अच्छे काम भी किये हैं।

इस मामले में श्री ठाकुर ने दोषी तत्कालीन वित्त प्रभारी श्रीरंग पाठक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस अधिक भुगतान की वसूली श्री पाठक से करने की मांग उन्होंने उच्चाधिकारियों से की है , लगभग दो साल तो गुजर गए , कई MD भी बदल गए , पर नतीजा अब तक सिफर है ,…… इति

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