दरअसल 2019 में कांग्रेस की सरकार विशाल बहुमत के साथ जब प्रदेश में काबिज हुई तो भाजपा के तमाम भ्रष्टाचारियों ने नए ठिकाने ढूंढने शुरू किये और शनैः शनैः उनको शेल्टर मिल ही गया। पर्यटन मंडल का पाठक भी उनमे से एक है , ये कूद कर पूर्व प्रबंध संचालक और अब प्रदेश के शक्तिशाली ACS की गोदी में बैठ गया प्रतीत होता है। तभी तो तमाम सबूतों के बाद भी मंत्रालय का पर्यटन विभाग भी इस पर कार्रवाई करने से कांप रहा है। यहां तक कि पर्यटन मंत्री माननीय श्री ताम्रध्वज साहू को की गई शिकायत भी रद्दी की टोकरी में जाती दिख रही है।
चलिए हम एक ऐसा दस्तावेज पेश करने जा रहे हैं जो पर्यटन सचिव , ACS और CS के लिए चैलेन्ज हो सकता है यदि वे इसकी विधिवत जाँच का बीड़ा उठायें । वर्ष 2019 का वाकया है , तत्कालीन प्रबंध संचालक आईएफएस श्री एम् टी नंदी जी ने भर्ती नियमो की अनदेखी का हवाला देते हुए श्रीरंग पाठक की लेखाधिकारी पद पर की गयी पूर्व पदोन्नति आदेश को निरस्त किया था। उन्होंने अपने आदेश में ये भी लिखा था कि श्रीरंग शरद पाठक को अधीक्षक के पद पर दिनांक 25 / 11 / 2005 से ही पदोन्नति के आदेश जारी करने की कार्यवाही की जाय। लेखाधिकार का पद धारित करना भर्ती एवं पदोन्नति के नियमो के विपरीत होने से उपमहाप्रबंधक के पद पर पदोन्नति की पात्रता न रखने के कारण , उपमहाप्रबंधक के पद पर पदोन्नति हेतु जारी आदेश क्रमांक 1802 / I / स्थापना / प्रशासन / पर्यटन मंडल /2015 , दिनांक 15 /07 /2015 को आदेश जारी होने की तिथि से ही निरस्त किया जाता है। यह सब दिनांक 02 /05 / 2019 से ही प्रभावशील समझा जाय।
पर इस आदेश के तुरंत बाद पाठक ने माननीय हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की , जिसमे अवर सचिव , पर्यटन विभाग , श्रीमती दुर्गा देवांगन द्वारा 14 /08 /2013 को हस्ताक्षरित आदेश का संज्ञान माननीय कोर्ट को दिलाया । इसी आदेश की प्रति हम यहाँ प्रदर्शित कर रहे हैं , जो कालांतर में फर्जी साबित किया जा चुका है , अर्थात जालसाज पाठक ने माननीय हाई कोर्ट को गुमराह कर निर्णय अपने पक्ष कराने में सफलता प्राप्त की।
छत्तीसगढ़ शासन पर्यटन विभाग से इस आदेश की अधिकृत प्रति श्री नंदी जी द्वारा दिनांक 12/ 06 /2019 को हस्ताक्षरित अपने पत्र क्रमांक 1102/ स्थापना/ प्रशासन /पर्यटन मंडल / 2019 के मार्फ़त मांगी गई। जिसके जवाब में पर्यटन विभाग के तत्कालीन अवर सचिव श्री मनोहर झमटानी जी ने 29/06 /2019 को अपने पत्र क्रमांक 743 /439 /2019 /33 /पर्यटन के द्वारा स्पष्ट किया कि ” जब किसी प्रकरण पर आदेश किया जाना होता है , तब विभागीय नोटशीट में आदेश प्रारूप नियमानुसार प्रस्तुत किया जाता है तथा लिया गया निर्णय भी नोटशीट में अंकित होता है , किन्तु विभागीय नस्ती में ऐसा कोई निर्णय अंकित नहीं है और न ही आदेश प्रारूप रखा गया है। विभाग के स्तर पर उक्त आदेश जारी किया जाना नहीं पाया गया। अतः अधिकृत प्रति उपलब्ध कराये जाने का प्रश्न उद्भूत नहीं होता”।
अब EXPOSECG प्रदेश के CS , ACS से अनुग्रह करता है और विभागीय सचिव श्री अन्बलगन जी को ये चैलेंज देता है कि माननीय हाई कोर्ट में जालसाज पाठक द्वारा प्रेषित कूटरचित आदेश की प्रति को प्रमाणित करें , मंत्रालय में खुदवाएं या फिर पर्यटन विभाग के इस भ्रष्ट शिरोमणि श्रीरंग शरद पाठक पर दंडात्मक कार्रवाई कर जेल भिजवाएं , साथ ही EXPOSECG श्री नंदी जी से भी सवाल उठाता है कि कूटरचित दस्तावेज माननीय हाई कोर्ट में पेश करने और 3 मई 2019 को पाठक द्वारा सरकारी फाइलें चोरी करने के आरोप में FIR क्यों नहीं दर्ज कराई गई, यानि अप्रत्यक्ष रूप से जालसाज , चोर , भ्रष्टाचारी पाठक को संरक्षण दिया।
मामला साफ है प्रबंध संचालक पर प्रबंध संचालक बदलते गए , सभी के सामने पाठक के खिलाफ दस्तावेज प्रस्तुत किये गए , और सभी ने पाठक को एडजस्ट कर लिया। यहां तक की महत्वपूर्ण विभाग के उच्च पद पर आसीन भी करवाया , ताकि भ्रष्टाचार रुपी गंगा लगातर बहती रहे और सब उसमे छोटे छोटे एनीकट बनवाते रहें। …..इति