छत्तीसगढ़ की प्रतिष्ठित पंडित रविशंकर शुक्ल विश्व विद्यालय में कार्यरत प्रोफेसर लेक्चरर एवं कर्मचारियों के जाति प्रमाणपत्र सत्यापन का पेंच फंस गया है। लगभग १८ कर्मचारियों ने तो शासन के आदेश के विरुद्ध अनुसूचित जाति , जनजाति अत्याचार अधिनियम 1989 के तहत अपने मान सम्मान की रक्षा के लिए संस्था / आयोग की शरण में जाने की मंशा लिखित जाहिर की है। अधिकारीयों कर्मचारियों ने नौकरी प्राप्त करते समय अपने जाती प्रमाण पत्र विश्वविद्यालय में आवश्यक दस्तावेज के साथ जमा भी किये थे जिस पर शासन ने सत्यापन के तलवार लटका दी। इन कर्मचारियों का कहना है की इससे उनकी प्रतिष्ठा मान सम्मान सामजिक रूप से धूमिल हो रही है , जिसके विरुद्ध वे आयोग की शरण में जा सकते हैं। वहीं सात अन्य प्रोफेसरों ने इस आशय के दस्तावेजों की व्यवस्था कर रखी है जिसमे जाति प्रमाण पत्र सत्यापित करने की आवश्यकता ही नहीं है। विश्वविद्यालय प्रशासन को आशंका है कि कहीं ये जाति प्रमाण पत्र जाली तो नहीं ?… इति