Monday, December 23rd, 2024

न भूतो न भविष्यति


छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के साथ ही बंटवारे में भारी भरकम प्रशासनिक अधिकारीयों का अमला आ गया , राज्य की अधोसंरचना को मूर्तरूप देने। लिहाजा उनके रहने के लिए आवास व्यवस्था के तहत सबसे पहले जेल के पीछे छोटी लाइन तक की पडी सरकारी जमीन पर प्रशासनिक आवासीय कॉलोनी विकसित की गयी। जिसमे कुछ नेताओं को भी आवास आबंटित किये गए। कालांतर में 90 विधायकों के लिए छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से 36 मॉल के पीछे आवासीय कॉलोनी विकसित की गई। इसके तुरंत बाद अधिकारीयों ने अपने लिए मौलश्री विहार बनवाया। फिर जोरा धरमपुरा माना विमानतल मार्ग विकसित होते ही धर्मपुरा में हाउसिंग बोर्ड ने आवासीय प्लाट प्रशासनिक अधिकारीयों को उपलब्ध करवाए। यही नहीं नया रायपुर स्थित हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनियों में प्रशासनिक अधिकारीयों और अध्यक्षों ने जमकर मकान और भूखंड हासिल किये। इसके बाद सेरिख़ेरी में भी सरकारी जमीं पर हाउसिंग बोर्ड अधिकारीयों के लिए ही प्लाट काट रहा है। सिलसिला चलता रहेगा , अनंत काल तक , न पेट भरेगा , न भूख कम होगी।

जिक्र धरमपुरा आवासीय कॉलोनी का। यहां पहले राधास्वामी सत्संग ब्यास वाले बाबा का बड़ा आश्रम / सत्संग स्थल विद्यमान था। इससे लगे गांवों नकटी बनरसी टेमरी की जमीनों पर नया रायपुर डेवेलोपमेंट अथॉरिटी के नियमो के तहत ही निर्माण किये जा सकते हैं। कुछ अवैध निर्माणों पर पिछले दिनों जे सी बी ड्राइवर्स ने अपना स्किल बखूबी दिखाया था। पर इसी इलाके पर और भी कई रसूखदार बाबाओं के कब्जे हैं , जिसमे कसडोल वाले बाबा , रेरा वाले बाबा ,बोरा वाले बाबा आदि आदि प्रमुख है। पर आजकल चौक चौराहे पर उठने बैठने वाले स्कूटर बाबा का जिक्र भी जोरों पर है , जो अब एस यू वी की सवारी कर इस क्षेत्र में अपनी धमक कायम करने में लगे हैं।

ये तो थी भूमिका , बाबा कथा अनंत है जारी रहेगी।

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