छत्तीगसगढ़ में बाबाओं का इतिहास भी जबरदस्त है। जिस भी बाबा ने आश्रम बनाया तर गया। देखा देखि सरकारी और गैर सरकारी बाबाओं ने भी जगह जगह आश्रम नुमा जमीने तो खरीदी ही खरीदी और कुछ ने तो हथियाई भी । राधा स्वामी सतसंग व्यास की जमीनों की बिक्री भी इन दिनों धड़ल्ले से चल रही है। बाबा हैं , प्रॉफिट देखते हैं समाज सेवा के साथ साथ। बहुत से छत्तीसगढ़ी बाबाओं ने भी आसपास ही जमीने ले रखी हैं। कसडोल वाले बाबा ने 30 एकड़ तो , रे रा वाले बाबा ने १३ एकड़ , तो बोरा वाले बाबा कहां पीछे रहते , 30 हजार फुट उन्होंने भी ले ली। वैसे बोरा वाले बाबा जहां जहां पग धरे , जमीन नापते ही रहे , बिलासपुर , कवर्धा में तो जमीनों के किस्से निराले ही है , हाउसिंग बोर्ड में भी मकान पर मकान खड़े किये। पूरा एपिसोड लिखा जा सकता है।
अब बारी है चौक चौराहे पर उठने बैठने वाले बाबा की। पर उनके लिए यहां जमीन ही नहीं बची लिहाजा धरमपुरा हाउसिंग बोर्ड के आसपास के सरकारी गैरसरकारी किसानो को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। न भूतो न भविष्यति। हाउसिंग बोर्ड एक अधिकारी ने पद और गोपनीयता की शपथ खाते हुए कहा की ऐसा अध्यक्ष पिछले 22 सालों में तो नहीं देखा।
दरअसल हुआ यूँ की लगभग डेढ़ दो माह पहले किसी सिंधी बिल्डर ने धरमपुरा सोसाइयटी से लगकर प्लाट काटे और और शाम 8 बजे से धनाढ्यों को बुलाकर जोर शोर से डीजे बजाकर शराब कबाब पार्टी का आयोजन कर दिया। पर ये शांति प्रिय वनाधिकारियों को कहाँ रास आने वाला था , लिहाजा रेसीडेंशल असोसिएशन ने घोर आपत्ति दर्ज करायी और असोसिएशन के अध्यक्ष “हमारा बजाज” ने हाउसिंग बोर्ड अध्यक्ष को एक कड़ा पात्र लिख दिया। प्रतिक्रिया इतनी तेज हुई की एक शहरी सत्य बाबा ने “बजाज चेतक” को जमकर खरी खोटी सुनाई। तुरंत ही अपनी 6 महीने की बची सर्विस का हवाला देते हुए वे “प्रिया ” बन कर दुबक गए। बात आयी गई हो गई।
पर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारीयों को मौका मिल गया , उन्होंने सारे रास्तों पर 4 – 4 फुट की दीवाले खड़ी कर दीं। खबर है की इन्ही दीवालों को हटाने के लिए अध्यक्ष तक दौड़ लगानी पड़ रही है , आगे आप खुद समझ सकते हैं।
बाबा नाम केवलम। जारी रहेगी।